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बचपन का वो कोमल मन हर किसी को अपना समझ लेता था, बै

बचपन का वो कोमल मन हर किसी को अपना समझ लेता था, बैर भाव क्या होता है, वो मासूम कहा समझ पाता था?
ज्यों ज्यों उम्र बढ़ती गई, मन की कोमलता पे लगातार वार होते गए। चढ़ती गई परत धोखे की और फिर घोला गया उसे आडंबरी रिश्तों में। ना चाहते हुए भी पाठ पढ़ाया गया नफ़रत का,स्वार्थ का और हिंसा का। सिखाया गया नीचा दिखाना, अहंकारी बनना। महसूस करता भी कौन उस मासूम की घुटन को कि सबका वही हाल था। आया तो था वो इस दुनिया में अपने अंदर प्यार भर के, पर दुनियादारी का ज़हर पिला के उसे हमेशा के लिए शांत करा दिया गया।
 #बचपन  #कोमल_मन #आडंबर  #रिश्तें  #दुनियादारी  #yqbaba #yqdidi
बचपन का वो कोमल मन हर किसी को अपना समझ लेता था, बैर भाव क्या होता है, वो मासूम कहा समझ पाता था?
ज्यों ज्यों उम्र बढ़ती गई, मन की कोमलता पे लगातार वार होते गए। चढ़ती गई परत धोखे की और फिर घोला गया उसे आडंबरी रिश्तों में। ना चाहते हुए भी पाठ पढ़ाया गया नफ़रत का,स्वार्थ का और हिंसा का। सिखाया गया नीचा दिखाना, अहंकारी बनना। महसूस करता भी कौन उस मासूम की घुटन को कि सबका वही हाल था। आया तो था वो इस दुनिया में अपने अंदर प्यार भर के, पर दुनियादारी का ज़हर पिला के उसे हमेशा के लिए शांत करा दिया गया।
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