रूह वो नजरों से उतरकर दिल में आयी, दिल से रूह में उतर गयी। जाने कैसी ख़लिश थी, सांसों में आयी, सांसो से खून में उतर गयी ॥ आग का दरिया पार करना मेरे लिए कोई, बडा काम न था। मुश्किल तो दिल को तब आयी जब कश्ती, इश्क के दरिया में उतर गयी।। "शील साहब" #आगकादरिया