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रूह वो नजरों से उतरकर दिल में आयी, दिल से रूह में

रूह वो नजरों से उतरकर दिल में आयी,
दिल से रूह में उतर गयी। 
जाने कैसी ख़लिश थी, सांसों में आयी, 
सांसो से खून में उतर गयी ॥
आग का दरिया पार करना मेरे लिए  कोई, 
बडा काम न था। 
मुश्किल तो दिल को तब आयी जब कश्ती, 
इश्क  के दरिया में उतर गयी।। 





"शील साहब" #आगकादरिया
रूह वो नजरों से उतरकर दिल में आयी,
दिल से रूह में उतर गयी। 
जाने कैसी ख़लिश थी, सांसों में आयी, 
सांसो से खून में उतर गयी ॥
आग का दरिया पार करना मेरे लिए  कोई, 
बडा काम न था। 
मुश्किल तो दिल को तब आयी जब कश्ती, 
इश्क  के दरिया में उतर गयी।। 





"शील साहब" #आगकादरिया