ख़ामोश है खोपनाप सा दरिया फराज से आता है वो नीर , दरिया ऐ फराख में मिल जाता है ! खामोश खड़ा दरिया भी ,एक ख़ौफ़नाक भय बन जाता है ! उसकी लहर के जल से तो हमारी रूह पर परम आनंद सा छा जाता है खामोश खड़ा दरिया भी एक ख़ौफ़नाक भय बन जाता है " अंकुर बघेल ... अंकुर बघेल