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ये बिंदी, ये तो कभी मेरी थी ही नहीं, मां के पिटारे

ये बिंदी, ये तो कभी मेरी थी ही नहीं,
मां के पिटारे से तुम्हारी पसंद 
की एक काली बिंदी चुरा लिया करती थी,

और मां भी अल्हड़ उम्र की नादानियां 
समझ कर मुस्कुरा देती थी|

(Caption)  कैसे इस अटूट रिश्ते को इतनी आसानी से जाने दिया,
 कैसे मैंने तेरी यादों से अपना इत्तेफाक भी भुला दिया||
तुम्हारे लिए तो ये महज़ सवाल था,
और मेरे लिए मेरा पूरा वजूद,
तुझसे मिलने से पहले एक रिश्ता मेरा खुद से था,
थोड़ा सरल, थोड़ा अटूट, थोड़ा अटपटा पर मेरा अपना सा था,
तेरे रिश्ते ने मेरे इस अपने रिश्ते का वजूद ही मिटा दिया,
अब जो आईने में दिखा वो तो मेरा था ही नहीं,
ये बिंदी, ये तो कभी मेरी थी ही नहीं,
मां के पिटारे से तुम्हारी पसंद 
की एक काली बिंदी चुरा लिया करती थी,

और मां भी अल्हड़ उम्र की नादानियां 
समझ कर मुस्कुरा देती थी|

(Caption)  कैसे इस अटूट रिश्ते को इतनी आसानी से जाने दिया,
 कैसे मैंने तेरी यादों से अपना इत्तेफाक भी भुला दिया||
तुम्हारे लिए तो ये महज़ सवाल था,
और मेरे लिए मेरा पूरा वजूद,
तुझसे मिलने से पहले एक रिश्ता मेरा खुद से था,
थोड़ा सरल, थोड़ा अटूट, थोड़ा अटपटा पर मेरा अपना सा था,
तेरे रिश्ते ने मेरे इस अपने रिश्ते का वजूद ही मिटा दिया,
अब जो आईने में दिखा वो तो मेरा था ही नहीं,
richabhatia7280

Richa Bhatia

New Creator

कैसे इस अटूट रिश्ते को इतनी आसानी से जाने दिया, कैसे मैंने तेरी यादों से अपना इत्तेफाक भी भुला दिया|| तुम्हारे लिए तो ये महज़ सवाल था, और मेरे लिए मेरा पूरा वजूद, तुझसे मिलने से पहले एक रिश्ता मेरा खुद से था, थोड़ा सरल, थोड़ा अटूट, थोड़ा अटपटा पर मेरा अपना सा था, तेरे रिश्ते ने मेरे इस अपने रिश्ते का वजूद ही मिटा दिया, अब जो आईने में दिखा वो तो मेरा था ही नहीं, #Hindi #maa #yourquote #yqdidi #shringar #richabhatiaquotes #richabhatiawrites