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मदहोशी (ग़ज़ल) **************** पिए जो जाम, नज़रों

मदहोशी (ग़ज़ल)
****************
पिए जो जाम, नज़रों के, संभल ना पाए हम,
मदहोश समां ‌हैं,!.... मदहोश लम्हा-लम्हा हैं,
बेसुध होकर !.............जिए जा रहे हैं हम।

तसब्बर उनका!............... आंखों में छा रहा हैं,
हमें दिन में घनी जुल्फ़ें का अंधेरा नज़र आ रहा हैं,
नज़र ढूंढे उनको इस कदर, समय बिताए जा रहे है हम।

मयखाना जो इतराता था , कभी अब शर्म खा रहा हैँ,
मेरे महबूब की मस्त !......अदाओं से मात खा रह हैं,
सब पर नशा छाया अजब सा, बिन पिए शराबी का इल्ज़ाम आ रहा आ रहा है।

आज बैठे हैं आगोश में वो, अब कहां रहे होश में बताओ,
हम पर देखो बे-मतलब, !..............नशा छा रहा हैं।
अब किस को दोष दे हम, नाम उसका लबों पे आ रहा‌ हैं।

अनंत प्यार ‌में डूबे‌ हैं, इस क़दर,
मेरे हकीकतों में तूं , इस तरह ‌समां रहा हैं,
देखू जब आईना, मुझे मदहोशी में भी तू नज़र आ रहा हैं।
  #cinemagraph
#कोराकाग़ज़ 
#collabwithकोराकाग़ज़ 
#विशेषप्रतियोगिता 
#कोराकाग़ज़_pc_14 
#मदहोशी(ग़ज़ल)
मदहोशी (ग़ज़ल)
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पिए जो जाम, नज़रों के, संभल ना पाए हम,
मदहोश समां ‌हैं,!.... मदहोश लम्हा-लम्हा हैं,
बेसुध होकर !.............जिए जा रहे हैं हम।

तसब्बर उनका!............... आंखों में छा रहा हैं,
हमें दिन में घनी जुल्फ़ें का अंधेरा नज़र आ रहा हैं,
नज़र ढूंढे उनको इस कदर, समय बिताए जा रहे है हम।

मयखाना जो इतराता था , कभी अब शर्म खा रहा हैँ,
मेरे महबूब की मस्त !......अदाओं से मात खा रह हैं,
सब पर नशा छाया अजब सा, बिन पिए शराबी का इल्ज़ाम आ रहा आ रहा है।

आज बैठे हैं आगोश में वो, अब कहां रहे होश में बताओ,
हम पर देखो बे-मतलब, !..............नशा छा रहा हैं।
अब किस को दोष दे हम, नाम उसका लबों पे आ रहा‌ हैं।

अनंत प्यार ‌में डूबे‌ हैं, इस क़दर,
मेरे हकीकतों में तूं , इस तरह ‌समां रहा हैं,
देखू जब आईना, मुझे मदहोशी में भी तू नज़र आ रहा हैं।
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