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इज्ज़त उछालते हैं भरे समाज में इक बेटी की, अपने गि

इज्ज़त उछालते हैं भरे समाज में इक बेटी की, 
अपने गिरेबां में यहाँ कोई ताक-झाँक क्यूँ  नहीं करता.. 

फिरते हैं सब अच्छाई का चोला ओढ़े हुए, 
गलती ख़ुद की यहाँ कोई स्वीकार क्यूँ नहीं करता.. 

घूमा करता था हाथ जोड़ जो हमारी गलियों में, 
वो शख्स आज कल गांव में क्यूँ नहीं दिखता.. 

जाति-धर्म के ठेकेदार बैठे हैं यहाँ हर घर में, 
इंसानियत और प्रेम की कोई बात क्यूँ नहीं करता..

लिखती रहती हो हरदम कमियां समाज की,
वो समाज तुम से भी बना है ये बात क्यूँ नहीं करती..

दुनिया की दिखे तुम्हे बस खूबसूरती और अच्छाइयां ही, 
"शालिनी" नज़रें तुम अपनी इतनी पाक क्यूँ नहीं रखती..
    
                Shalini sahu



 #myself #thinking #change #life #shalinisahu #yqbaba #youzee #yqbesthindiquotes
इज्ज़त उछालते हैं भरे समाज में इक बेटी की, 
अपने गिरेबां में यहाँ कोई ताक-झाँक क्यूँ  नहीं करता.. 

फिरते हैं सब अच्छाई का चोला ओढ़े हुए, 
गलती ख़ुद की यहाँ कोई स्वीकार क्यूँ नहीं करता.. 

घूमा करता था हाथ जोड़ जो हमारी गलियों में, 
वो शख्स आज कल गांव में क्यूँ नहीं दिखता.. 

जाति-धर्म के ठेकेदार बैठे हैं यहाँ हर घर में, 
इंसानियत और प्रेम की कोई बात क्यूँ नहीं करता..

लिखती रहती हो हरदम कमियां समाज की,
वो समाज तुम से भी बना है ये बात क्यूँ नहीं करती..

दुनिया की दिखे तुम्हे बस खूबसूरती और अच्छाइयां ही, 
"शालिनी" नज़रें तुम अपनी इतनी पाक क्यूँ नहीं रखती..
    
                Shalini sahu



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