Nojoto: Largest Storytelling Platform

जरुरत बदलने पर, लोगों के अंदाज बदलते रहते हैं ।

जरुरत बदलने पर, 
 लोगों के अंदाज बदलते रहते हैं । 
नि:स्वार्थ कर्म कर के भी क्या मिलेगा , 
तुझे ए रंजेश ? 
यहाँ तो लोगों के हर दिन स्वार्थ बदलते रहते हैं । 
गैरों में अपना कब तक ढुंढेगा तु  ? 
मौका मिलते ही सब तुम्हें रास्ता दिखाएंगे 
फिर से तुमको तब गले लगाएंगे, 
जब खुदको अकेला पाएंगे । 
शिकारी हैं सारे, जरुरत के हिसाब से 
ये परवाज बदलते रहते हैं । 
लोगों की मृदुल आवाज पर तुम मत जाना। 
यहां समय के साथ , 
लोगों के आवाज बदलते रहते हैं। 
जरुरत बदलने पर, 
लोगों के अंदाज बदलते रहते हैं ।। 

-----रंजेश सिंह #ranjesh #metrowale #selfish #world
जरुरत बदलने पर, 
 लोगों के अंदाज बदलते रहते हैं । 
नि:स्वार्थ कर्म कर के भी क्या मिलेगा , 
तुझे ए रंजेश ? 
यहाँ तो लोगों के हर दिन स्वार्थ बदलते रहते हैं । 
गैरों में अपना कब तक ढुंढेगा तु  ? 
मौका मिलते ही सब तुम्हें रास्ता दिखाएंगे 
फिर से तुमको तब गले लगाएंगे, 
जब खुदको अकेला पाएंगे । 
शिकारी हैं सारे, जरुरत के हिसाब से 
ये परवाज बदलते रहते हैं । 
लोगों की मृदुल आवाज पर तुम मत जाना। 
यहां समय के साथ , 
लोगों के आवाज बदलते रहते हैं। 
जरुरत बदलने पर, 
लोगों के अंदाज बदलते रहते हैं ।। 

-----रंजेश सिंह #ranjesh #metrowale #selfish #world