जरुरत बदलने पर, लोगों के अंदाज बदलते रहते हैं । नि:स्वार्थ कर्म कर के भी क्या मिलेगा , तुझे ए रंजेश ? यहाँ तो लोगों के हर दिन स्वार्थ बदलते रहते हैं । गैरों में अपना कब तक ढुंढेगा तु ? मौका मिलते ही सब तुम्हें रास्ता दिखाएंगे फिर से तुमको तब गले लगाएंगे, जब खुदको अकेला पाएंगे । शिकारी हैं सारे, जरुरत के हिसाब से ये परवाज बदलते रहते हैं । लोगों की मृदुल आवाज पर तुम मत जाना। यहां समय के साथ , लोगों के आवाज बदलते रहते हैं। जरुरत बदलने पर, लोगों के अंदाज बदलते रहते हैं ।। -----रंजेश सिंह #ranjesh #metrowale #selfish #world