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ये हृदय कागज किया है, और स्याही की है धड़कन, तब कह

ये हृदय कागज किया है, और स्याही की है धड़कन,
तब कहीं जाकर, तुम्हारा गीत लिख पाया हूँ मैं ।
एक तुम्हारे प्रेम में, ना जाने कितने स्वप्न टूटे,
कितने ही रिश्तों पे खुद ही, पांव धर आया हूँ मैं ।।

- Nitin Kr Harit




Plz read full in caption !! ये हृदय कागज किया है, और स्याही की है धड़कन,
तब कहीं जाकर, तुम्हारा गीत लिख पाया हूँ मैं ।
एक तुम्हारे प्रेम में, ना जाने कितने स्वप्न टूटे,
कितने ही रिश्तों पे खुद ही, पांव धर आया हूँ मैं ।।

कितने ही स्वर्णिम क्षणों का, त्याग करके हंसते हंसते,
एक अंतिम पूर्ण क्षण को, संग तुम्हारा चाहता हूँ ।
मैं रहूं या ना रहूं, पर रंग जो फैले धरा पर,
ये हृदय कागज किया है, और स्याही की है धड़कन,
तब कहीं जाकर, तुम्हारा गीत लिख पाया हूँ मैं ।
एक तुम्हारे प्रेम में, ना जाने कितने स्वप्न टूटे,
कितने ही रिश्तों पे खुद ही, पांव धर आया हूँ मैं ।।

- Nitin Kr Harit




Plz read full in caption !! ये हृदय कागज किया है, और स्याही की है धड़कन,
तब कहीं जाकर, तुम्हारा गीत लिख पाया हूँ मैं ।
एक तुम्हारे प्रेम में, ना जाने कितने स्वप्न टूटे,
कितने ही रिश्तों पे खुद ही, पांव धर आया हूँ मैं ।।

कितने ही स्वर्णिम क्षणों का, त्याग करके हंसते हंसते,
एक अंतिम पूर्ण क्षण को, संग तुम्हारा चाहता हूँ ।
मैं रहूं या ना रहूं, पर रंग जो फैले धरा पर,