ये मनगढ़ंत कहानी अपनी जुबानी, जो सुनाए जा रहे हो तुम ना जाने क्यों अपने अधूरे ख्वाब मुझको ही दिखाए जा रहे हो तुम। ना मैं मुंशी हु,ना मुझे हिसाब आता है, जाने क्यों बेवजह ही घबराए जा रहे हो तुम। कह दो की दिल भर गया है, रुक जाने से अब ये डर गया है इतनी सी तो बात है,जो कब से इधर उधर घुमाये जा रहे हो तुम। #stories#pain of living#untold situations#unbeatable conditions