मौत तो बरहक़ है हर किसी को कभी न कभी आनी है
कहीं बुढापा दम तोड़ देता है कहीं साथ छोड़ देती जवानी है
हमें मिटाने का जो ख़्वाब देख रहा जो ज़माना सारा है
बताओ उन्हें हमारे मिटने के बाद ही क़यामत आनी है
हमारा ईमान तो क़ब्र के बाद की ज़िंदगी पर है
सिर्फ़ मरने का नाम नहीं ख़तम कहानी है