बढ़ रही है जब बुराई राम की खामोशी का का क्या कारण है मै हु शिवभक्त नाम मेरा रावण है आज का राम व्यस्त कहां है लेने में अग्नि परीक्षा आज के साधु भी हो गए हैं पापी सही से दो रामायण की शिक्षा फिर वह कृष्ण चुप बैठा क्यों है इन रेपो पर लगता है पड़ी है सबको अपनी अपनी कुर्सी की प्रतिष्ठा इन हादसों का अब कोई बचा क्या तारण है में हु शिवभक्त नाम मेरा रावण है मेरे पुतलो की ऊंचाई से बुराई का पता लगाया जाता है मानव पाप ये तेरा यह क्यों नहीं बताया जाता है वह सीता आज भी अग्नि परीक्षा दे रही है "राम" आज भी उसको अग्नि परिक्षा से गुजारा जाता है मैं तो हो गया बची तपिश और ये जलावन है मे हु शिव भक्त मेरा नाम रावण है ज्ञान में शान में कई मर्यादा पुरुषोत्तम पर भारी हूं ब्राह्मण हूं धर्म से शिव का परम पुजारी हूं सीता का साफ चरित्र दिया था उसको मैंने उसकी हार से जीत की मेरी जीत से हार की जंग आज भी जारी है देखो दशमी अश्विन की पर "दीप" जले मेरे कारण है मै हु शिवभक्त मेरा नाम रावण है रावण हु