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क़ैद रहकर भी नित नए साँचे में ढ़लना होगा, पथ प

क़ैद  रहकर  भी नित  नए साँचे  में ढ़लना  होगा,
पथ  प्रेम का हो या  कर्तव्यों  का बदलना  होगा।

न्यूनता  की बेड़ियों  में जकड़ गया  हूँ  इस कदर,
पराजयों  से सीख  लें कुछ  क़दम चलना  होगा।

बाधाओँ  की  पुस्तक खोल  बैठ जाए जब कोई,
बता  देना कि  निखरने  की  ख़ातिर जलना होगा।

अहं  हो  जाए  जब सत्ता  शरीर और  सम्पत्ति का,
बानगी दे  लंकेश  की और कहना बदलना होगा।

घनी रात ओझल चाँद और हवा से लड़ता चिराग़
कुछ देर का ही है अंधेरा सूर्य को निकलना होगा।
    
ज़िंदगी क्या है इसका दर्शन इतना समझ लीजिए,
निरंतर  गिरना  होगा और स्वयं ही संभलना होगा। ज़िंदगी क्या है! (ग़ज़ल) 
#कोराकाग़ज़
#collabwithकोराकाग़ज़ 
#रमज़ान_कोराकाग़ज़ 
#kkr2021 
#kkज़िन्दगीक्याहै 
#yourquote 
#yqbaba
क़ैद  रहकर  भी नित  नए साँचे  में ढ़लना  होगा,
पथ  प्रेम का हो या  कर्तव्यों  का बदलना  होगा।

न्यूनता  की बेड़ियों  में जकड़ गया  हूँ  इस कदर,
पराजयों  से सीख  लें कुछ  क़दम चलना  होगा।

बाधाओँ  की  पुस्तक खोल  बैठ जाए जब कोई,
बता  देना कि  निखरने  की  ख़ातिर जलना होगा।

अहं  हो  जाए  जब सत्ता  शरीर और  सम्पत्ति का,
बानगी दे  लंकेश  की और कहना बदलना होगा।

घनी रात ओझल चाँद और हवा से लड़ता चिराग़
कुछ देर का ही है अंधेरा सूर्य को निकलना होगा।
    
ज़िंदगी क्या है इसका दर्शन इतना समझ लीजिए,
निरंतर  गिरना  होगा और स्वयं ही संभलना होगा। ज़िंदगी क्या है! (ग़ज़ल) 
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