मैं मिलूंगा तुम्हे घर को जाते गलियारों में सुनसान पड़े बंजारों में भीड़ में आवारा में खोया हुआ विचारों में कभी गर्त में कभी बहारों में पर वहां सिर्फ मैं हूंगा ना मेरा ओहदा ना ही नाम गलतियों से बुनता हुआ अंजाम नहीं होगा जहां मिला हुआ नाम और वहां सिर्फ मैं हूं भविष्य की बातें मेरे पाप और पुण्य काल की चिंता वर्तमान की धुन होगा जहां सब कुछ शुन्य और वहां सिर्फ मैं हूंगा !! #writersnetwork #poemsporn #poemoftheday #yourquotebaba #yourquotedidi