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मैं मिलूंगा तुम्हे घर को जाते गलियारों में सुनसान

मैं मिलूंगा तुम्हे
घर को जाते गलियारों में 
सुनसान पड़े बंजारों में 
भीड़ में 
आवारा में 
खोया हुआ विचारों में 
कभी गर्त में 
कभी बहारों में 
पर वहां सिर्फ मैं हूंगा
ना मेरा ओहदा 
ना ही नाम 
गलतियों से बुनता हुआ अंजाम 
नहीं होगा जहां 
मिला हुआ नाम 
और वहां सिर्फ मैं हूं
भविष्य की बातें 
मेरे पाप और पुण्य 
काल की चिंता 
वर्तमान की धुन 
होगा जहां 
सब कुछ शुन्य 
और वहां सिर्फ मैं हूंगा !! #writersnetwork #poemsporn #poemoftheday #yourquotebaba #yourquotedidi
मैं मिलूंगा तुम्हे
घर को जाते गलियारों में 
सुनसान पड़े बंजारों में 
भीड़ में 
आवारा में 
खोया हुआ विचारों में 
कभी गर्त में 
कभी बहारों में 
पर वहां सिर्फ मैं हूंगा
ना मेरा ओहदा 
ना ही नाम 
गलतियों से बुनता हुआ अंजाम 
नहीं होगा जहां 
मिला हुआ नाम 
और वहां सिर्फ मैं हूं
भविष्य की बातें 
मेरे पाप और पुण्य 
काल की चिंता 
वर्तमान की धुन 
होगा जहां 
सब कुछ शुन्य 
और वहां सिर्फ मैं हूंगा !! #writersnetwork #poemsporn #poemoftheday #yourquotebaba #yourquotedidi