इतनी गहरी हैं रिवाज़ो की बेड़ियाँ, कब तक आखिर, कब तक राह रोकेंगी प्रेमी युगलों की, इतिहास गवाह है कि बग़ावत ने चूलें हिलाकर, हुकुमत दफा की अंग्रेजों और मुग़लों की..! इक्कीसवी सदी फिर क्यूँ, आखिर क्यूँ, आज भी अलग अलग धर्म जाति में वर्जित प्रीत है..? मंगल, चाँद पर नई दुनिया बसाने चले, मगर धरती पर क्यूँ इतनी छोटी सोच की अभी रीत है...? रिवाजों की बेड़ियों में बंधे हुए हैं लोग अभी... #रिवाजोंकीबेड़ियाँ #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi