मेरे इंतज़ार को मुक़ाम ज़रूर मिलेगा तू दूर है अभी पास आकर ज़रूर मिलेगा बस्तियॉं बसती चली गयीं जहाँ में चिराग भी तो जलता ज़रूर मिलेगा हों नक्शे-क़दम हर राह पर तेरे ऑंधी-तूफ़ान से बचाव ज़रूर मिलेगा बात न कर वफ़ा की इस ज़माने में नेकियों का फल दूसरे जहाँ में ज़रूर मिलेगा हंसते-हंसते आ जाते आँखों में ऑंसू सब्र कर इन मोतियों का मुनाफ़ा ज़रूर मिलेगा उड़ने की औक़ात की जाँच न कर समय पर बिन पंखों आकाश ज़रूर मिलेगा समा लिए आँखों में राज़ बहुत गहरे बोलने को ज़ुबां का साथ ज़रूर मिलेगा खींचतान चल रही तेरी-मेरी पहुँच की भूल कर उसे दोस्ती का मज़ा ज़रूर मिलेगा खामखां बना दिया दिये को अंगारा हर एक सवाल का ज़वाब ज़रूर मिलेगा सोचा और लिख दिया काग़ज पर 'निर्झरा' तेरी कलम का कुछ तो असर ज़रूर मिलेगा 🌹 copyright protected ©️®️ #yqdidi #yqlifelessons #yqpoetry #mनिर्झरा 09/04/2021 145/365