Nojoto: Largest Storytelling Platform

छक्का = गाली टाइटल को पढ़कर शायद अजीब सा लगे किंतु

छक्का = गाली टाइटल को पढ़कर शायद अजीब सा लगे किंतु इस विषय पर बात करना भी आवश्यक है।
छक्का हिजड़ा किसी पुरुष को नपुंसक कहने के लिए गाली  की तरह प्रयोग किया जाता है।और इस community को भी अभिशाप की तरह ही समझा जाता है।
शादी ब्याह किसी भी शुभ अवसर पर जब यह लोग नेक मांगने आते हैं हम  मुंह बनाकर इन्हें दे देते हैं।
किंतु इस समाज में जितना सम्मान इनको मिलना चाहिए जिसके यह हकदार हैं उतना  इन्हें  मिलता नहीं है।
कभी हम इनकी जगह पर खुद को रख कर देखें तो तो शायद समझ पाये की इनका  दुःख क्या है ?
चमचमाती गाड़ियों में सजधज कर जब यह आते हैं हमें लगता है कि यह सचमुच ही अमीर होंगे किंतु  सच्चाई से हम वाकिफ नहीं होते हैं।
इनका अपने जीवन पर पूर्ण रूप से अधिकार नहीं होता है।ठेकेदार या इनको नियंत्रित करने वाले इनसे यह सब करवाते हैं ।
और इन्हें करना भी पड़ता है क्योंकि अपना पेट जो भरना होता है। समाज में इनके लिए कोई और दूसरा काम नहीं है ,कम से कम यह तो है जिसके द्वारा इनका पेट भरता है।
छक्का = गाली टाइटल को पढ़कर शायद अजीब सा लगे किंतु इस विषय पर बात करना भी आवश्यक है।
छक्का हिजड़ा किसी पुरुष को नपुंसक कहने के लिए गाली  की तरह प्रयोग किया जाता है।और इस community को भी अभिशाप की तरह ही समझा जाता है।
शादी ब्याह किसी भी शुभ अवसर पर जब यह लोग नेक मांगने आते हैं हम  मुंह बनाकर इन्हें दे देते हैं।
किंतु इस समाज में जितना सम्मान इनको मिलना चाहिए जिसके यह हकदार हैं उतना  इन्हें  मिलता नहीं है।
कभी हम इनकी जगह पर खुद को रख कर देखें तो तो शायद समझ पाये की इनका  दुःख क्या है ?
चमचमाती गाड़ियों में सजधज कर जब यह आते हैं हमें लगता है कि यह सचमुच ही अमीर होंगे किंतु  सच्चाई से हम वाकिफ नहीं होते हैं।
इनका अपने जीवन पर पूर्ण रूप से अधिकार नहीं होता है।ठेकेदार या इनको नियंत्रित करने वाले इनसे यह सब करवाते हैं ।
और इन्हें करना भी पड़ता है क्योंकि अपना पेट जो भरना होता है। समाज में इनके लिए कोई और दूसरा काम नहीं है ,कम से कम यह तो है जिसके द्वारा इनका पेट भरता है।

टाइटल को पढ़कर शायद अजीब सा लगे किंतु इस विषय पर बात करना भी आवश्यक है। छक्का हिजड़ा किसी पुरुष को नपुंसक कहने के लिए गाली की तरह प्रयोग किया जाता है।और इस community को भी अभिशाप की तरह ही समझा जाता है। शादी ब्याह किसी भी शुभ अवसर पर जब यह लोग नेक मांगने आते हैं हम मुंह बनाकर इन्हें दे देते हैं। किंतु इस समाज में जितना सम्मान इनको मिलना चाहिए जिसके यह हकदार हैं उतना इन्हें मिलता नहीं है। कभी हम इनकी जगह पर खुद को रख कर देखें तो तो शायद समझ पाये की इनका दुःख क्या है ? चमचमाती गाड़ियों में सजधज कर जब यह आते हैं हमें लगता है कि यह सचमुच ही अमीर होंगे किंतु सच्चाई से हम वाकिफ नहीं होते हैं। इनका अपने जीवन पर पूर्ण रूप से अधिकार नहीं होता है।ठेकेदार या इनको नियंत्रित करने वाले इनसे यह सब करवाते हैं । और इन्हें करना भी पड़ता है क्योंकि अपना पेट जो भरना होता है। समाज में इनके लिए कोई और दूसरा काम नहीं है ,कम से कम यह तो है जिसके द्वारा इनका पेट भरता है। #अनाम #गढ़वालीगर्ल #हिंजड़ा