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मुख्तलिफ (مختلف) हो अगर तुम जमाने से मुख्तलिफ, ये

मुख्तलिफ (مختلف)

हो अगर तुम जमाने से मुख्तलिफ,
ये जरूरी नही कि तुम्हे सब हो वाकिफ़,
बेशक जियो तुम बेफ़िक्र,
पर चाहतों का करो न ज़िक्र,

खुद पर भरोसा रखो यूं ही,
जिंदगी में रास्तों की कमी नहीं,
मंजिल से पहले मिलेंगे कुछ पड़ाव कहीं,

जमाने से इतर,
चुनो वो राह जो लगे तुम्हे सही।





  #different #arabic
मुख्तलिफ (مختلف)

हो अगर तुम जमाने से मुख्तलिफ,
ये जरूरी नही कि तुम्हे सब हो वाकिफ़,
बेशक जियो तुम बेफ़िक्र,
पर चाहतों का करो न ज़िक्र,

खुद पर भरोसा रखो यूं ही,
जिंदगी में रास्तों की कमी नहीं,
मंजिल से पहले मिलेंगे कुछ पड़ाव कहीं,

जमाने से इतर,
चुनो वो राह जो लगे तुम्हे सही।





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