मैं आज भी जिंदगी को गुमनाम नहीं जीता हूँ | ग़म कितना भी हो मगर जाम नहीं पीता हूँ | अब अपने तो क्या औरों के भी ग़म को पीता हूँ | मैं तो शायर हू ज़ख्म को शब्दों से सीता हूँ | #मैं तो शायर हू ज़ख्म को शब्दों से सीता हूँ |