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करुँ तो कैसे करूँ खुद को काबिल तेरे लिए , अगर बदलू

करुँ तो कैसे करूँ खुद को काबिल तेरे लिए ,
अगर बदलूँ आदतें तो तेरी शर्ते बदल जाती हैं,
दूर करना हो खुदसे तो कोई तुझसे सीखे ,
बेचैनी में तेरी , पूरी पूरी रात ढल जाती है ,
सब टूट के बिखर जाता है आशिक़ों का इस दौर में ,
यहां २-३ हफ्तों में तो माशूका तक बदल जाती है।

©Dil galti kr baitha h
  करुँ तो कैसे करूँ खुद को काबिल तेरे लिए ,
अगर बदलूँ आदतें तो तेरी शर्ते बदल जाती हैं,
दूर करना हो खुदसे तो कोई तुझसे सीखे ,
बेचैनी में तेरी , पूरी पूरी रात ढल जाती है ,
सब टूट के बिखर जाता है आशिक़ों का इस दौर में ,
यहां २-३ हफ्तों में तो माशूका तक बदल जाती है।

करुँ तो कैसे करूँ खुद को काबिल तेरे लिए , अगर बदलूँ आदतें तो तेरी शर्ते बदल जाती हैं, दूर करना हो खुदसे तो कोई तुझसे सीखे , बेचैनी में तेरी , पूरी पूरी रात ढल जाती है , सब टूट के बिखर जाता है आशिक़ों का इस दौर में , यहां २-३ हफ्तों में तो माशूका तक बदल जाती है। #Shayari

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