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धड़कनो की मेजवानी, अनकही अनसुनी कोई कहानी, गुजरता ह

धड़कनो की मेजवानी,
अनकही अनसुनी कोई कहानी,
गुजरता ही रहा मोज़ों की रवानी,
वख्त-वेबख़्त फिसलता रहा,
तेरी मेरी कहानी।

©Prashant Roy
  इज़हार Rakesh Srivastava Sohan Kumar Suruchi Roy RUHI. PAYAL SINGH SHAHID HAROON