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हे मनमोहन! आपका ध्यान आया. आपसे मिलने को न जाने क्

हे मनमोहन!
आपका ध्यान आया.
आपसे मिलने को न जाने क्यों ?
ये दिल मचलाया...
आंखो में मैंने अपने,
आपका सपना सजाया...
आपके लिए मेरा ये दिल!
हो गया है,
खुद-ब खुद से ही पराया...
एक बार आ जाइए न श्याम!
किसी बहाने से...
 मेरे घर!
कि सावन का महीना आया।

©anjana writer missing felling
हे मनमोहन!
आपका ध्यान आया.
आपसे मिलने को न जाने क्यों ?
ये दिल मचलाया...
आंखो में मैंने अपने,
आपका सपना सजाया...
आपके लिए मेरा ये दिल!
हो गया है,
खुद-ब खुद से ही पराया...
एक बार आ जाइए न श्याम!
किसी बहाने से...
 मेरे घर!
कि सावन का महीना आया।

©anjana writer missing felling