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सुनो यार, तेज बारिश में हम अपनी हाथों की हथेलियों

सुनो यार, 
तेज बारिश में हम अपनी हाथों की हथेलियों को सिर पर रख लेते हैं। ये जानते हुए भी कि हम भीग तो फिर भी जायेंगे ही।कुछ इसी प्रकार मैं तुमसे प्रेम करता था। ये जानते हुए भी कि हम शायद एक नही हो पाएँगे। लेकिन तुम अक्सर कहती थीं कि " यार अगर हमारे यहाँ शादियां लड़कों और लड़कियों में होती तो हम जरूर एक साथ हो सकते थे, पर हमारे यहाँ तो शादियां लड़के और लड़कियों के गोत्रों, जातियों, धर्मो,धन और संपदाओ में होती हैं न, इस लिए शायद हम एक ना हों पाये "और मैं तुम्हारी नर्म हथेली पर गर्म दबाब के साथ एक भरोसा दिलाता था। भरोसा ही तो है जिसे उसके टूटने पर कोसा जा सकता है।..
.. #जलज कुमार #LostTracks सुनो यार, 
तेज बारिश में हम अपनी हाथों की हथेलियों को सिर पर रख लेते हैं। ये जानते हुए भी कि हम भीग तो फिर भी जायेंगे ही।कुछ इसी प्रकार मैं तुमसे प्रेम करता था। ये जानते हुए भी कि हम शायद एक नही हो पाएँगे। लेकिन तुम अक्सर कहती थीं कि " यार अगर हमारे यहाँ शादियां लड़कों और लड़कियों में होती तो हम जरूर एक साथ हो सकते थे, पर हमारे यहाँ तो शादियां लड़के और लड़कियों के गोत्रों, जातियों, धर्मो,धन और संपदाओ में होती हैं न, इस लिए शायद हम एक ना हों पाये "और मैं तुम्हारी नर्म हथेली पर गर्म दबाब के साथ एक भरोसा दिलाता था। भरोसा ही तो है जिसे उसके टूटने पर कोसा जा सकता है।.... #जलज कुमार
सुनो यार, 
तेज बारिश में हम अपनी हाथों की हथेलियों को सिर पर रख लेते हैं। ये जानते हुए भी कि हम भीग तो फिर भी जायेंगे ही।कुछ इसी प्रकार मैं तुमसे प्रेम करता था। ये जानते हुए भी कि हम शायद एक नही हो पाएँगे। लेकिन तुम अक्सर कहती थीं कि " यार अगर हमारे यहाँ शादियां लड़कों और लड़कियों में होती तो हम जरूर एक साथ हो सकते थे, पर हमारे यहाँ तो शादियां लड़के और लड़कियों के गोत्रों, जातियों, धर्मो,धन और संपदाओ में होती हैं न, इस लिए शायद हम एक ना हों पाये "और मैं तुम्हारी नर्म हथेली पर गर्म दबाब के साथ एक भरोसा दिलाता था। भरोसा ही तो है जिसे उसके टूटने पर कोसा जा सकता है।..
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