मैं चाह रहा था कहना कुछ,, वो भी कह रहा था, कुछ तो पूछ.. मानो समंदर था कहने को, पर बोला हमने बूंद भर,, मन में दोनो के अनगिनत बातें और अटके रहे शून्य पर.. मन विचलित था और एकदूसरे की आवाज सुन, मन भरा जा रहा था,, सुनने की ही लालसा थी, मुख से मानो कुछ भी नहीं कहा जा रहा था.. ©Prerna Nagwanshi #writers #Poetry #Quotes #HP #1905 #Phone