{ Read in caption } सुना था मर्द रोते नहीं वो कमजोर दिल सीने में ढोते नहीं फिर आज मैंने बाबा को रोते हुए क्यों पाया उन्होंने आंसू भरे हाथ दुआ में क्यों उठाया क्यों सब को चुप कराने वाला आज खुद चुप था क्यों नजरों में बादल दिखा, गायब कहीं धूप था