"कर्तव्य और उत्तरदायित्व" में सिमटे, सारे धर्म सभी आचार और व्यवहार। जीवन का समूल सार तो बस इन दो शब्दों में मिला मुझे बड़ी बड़ी डिग्रियाँ और कोचिंग कोर्स ने तो इंसान का हृदय बस यंत्र बनाकर रख दिया। कर्तव्य का निर्वहन अपने से बड़ों के लिए करें और उत्तरदायित्व का पालन छोटों के लिए। : कुछ मिले न मिले लेकिन आपके पास असीम शान्ति और गौरवशाली जीवन जरूर होगा। यही दो शब्द- धर्म अर्थ काम और मोक्ष के स्रोत हैं। श्री राम और कृष्ण के रूप में इन्ही शब्दों को अवतरित किया गया है। विचार कर देखिए....? बैसे ये मेरा अपना मत है। #पाठकपुराण की ओर से #सुभसंध्या साथियो।