इश्क़ मेरा कुछ कम सा हो गया है, माना कि इश्क़ में पैमाने नही होते, पर मायने तो होते है, इसलिए शायद मेरा इश्क़ तेरे लिए कुछ कम सा हो गया है, अब उस तरह इंतज़ार नही होता तेरा- जिस तरह बेसबर हो बारिश का इंतज़ार करते है, अब इश्क़ मेरा तेरे लिए कुछ कम सा हो गया है। अब तुझे देखने को यह दिल बेसबर नही होता, सबर के बाध से भी परे हो गया है यह दिल मेरा क्योंकि इश्क़ मेरा तेरे लिए कुछ कम सा हो गया है। अब बातो का सील सिला रुक भी जाया करता है, तब मैं रूकती नही वजह वही है अब इश्क़ मेरा तेरे लिए कुछ कम सा है। इश्क़ मेरा कुछ कम सा...