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उलझन हम जानते हैं कि तुम्हें आज भी परवाह है मेरी न

उलझन हम जानते हैं कि तुम्हें आज भी परवाह है मेरी
न जाने क्यों फिर तुम झुठलाने में लगे हो
हमने तो कभी तुमसे इश्क़ के बदले इश्क़ की आरजु ना करी थी
ना ही कभी कहा कि तुम्हें इश्क़ है हमसे
सोचा भी नहीं
जानते हैं कि तुम्हारे क़ाबिल नहीं हम
शायद कभी बन भी ना पायें
इसलिए बस दोस्ती करी थी
वो भी मानो - ना मानो , तुम पर था
न जाने किस सोच में तुमने खुदगर्ज़ी का नाम दे दिया
न जाने किस ख्याल में तुम्हें इतने बुरे लगे हम
कि बेइन्तहाँ नफ़रत हो गई तुम्हें हमसे
न जाने क्यों. . . #न_जाने_क्यों
उलझन हम जानते हैं कि तुम्हें आज भी परवाह है मेरी
न जाने क्यों फिर तुम झुठलाने में लगे हो
हमने तो कभी तुमसे इश्क़ के बदले इश्क़ की आरजु ना करी थी
ना ही कभी कहा कि तुम्हें इश्क़ है हमसे
सोचा भी नहीं
जानते हैं कि तुम्हारे क़ाबिल नहीं हम
शायद कभी बन भी ना पायें
इसलिए बस दोस्ती करी थी
वो भी मानो - ना मानो , तुम पर था
न जाने किस सोच में तुमने खुदगर्ज़ी का नाम दे दिया
न जाने किस ख्याल में तुम्हें इतने बुरे लगे हम
कि बेइन्तहाँ नफ़रत हो गई तुम्हें हमसे
न जाने क्यों. . . #न_जाने_क्यों