नवीन उन्वान हित सोचता रहे सदैव । कठिन समस्या का निदान अभियंत्रण। उड़ते आसमानी बन तैरते नदी में अरु। छापा अंतरिक्ष में निशान अभियंत्रण। रण मध्य विर नित्य अब न बहाए रक्त। करती अहिंसा हित गान अभियंत्रण। सर्व ज्ञान को दिया समेट आज फोन में। वेद गीता और यह कुरान अभियंत्रण। विश्व के पाखंड का शल्य करने के हेतु। आज मैंने अपनी कलम को उठाया है। करती है दुनियां सैर इस आसमान में जो। वो हेली कॉप्टर भारद्वाज ने बनाया है। न्यूटन का नामो निशां भी न है धरा पे जब। दिग शब्द वेधी शस्त्र हमने चलाया है। गा रही अधर तकनीक कृष्ण का था जो। तय समय से पूर्व सूर्य अस्त कराया है। गर्व है मुझे कि अभियंता कहा समाज। नवीन क्रांति काल गीत हित उद्घोष है। नवीन पृष्ठ तिथियां जाएगी गढ़ी यहां। हो नवीन उन्वान नीत हित उद्घोष है। आन स्वाभिमान पर आंच न आए कभी। मातृ भूमि हित पावन पुनीत उद्घोष है। हूं भला बेलिक किन्तु देश हित में सदा। मैं करूं नवीन कार्य प्रीत उद्घोष है। ©®दीपक झा रुद्रा #अभियंता_दिवस