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स्कूल आते जाते हुए जब छोटे अपनी उम्र के बच्चों को,

स्कूल आते जाते हुए जब छोटे अपनी उम्र के बच्चों को, छुटकी जब देखा करती थी तो उसका मन भी बड़ा लालायित होता था काश मैं भी स्कूल जाती।
 छुटकी कबाड़ी की बेटी थी, रोज बड़ा सा थैला लटकाकर अपनी मां के साथ कबाड़ बीनने जाया करती थी। कौशल्या  कोमल हृदय की शिक्षिका थी, उसने छुटकी की कबाड़न माँ को मनाकर, छुटकी का अपने स्कूल में एडमिशन करवा दिया।
 छुटकी जब स्कूल पहुंची तो उसके चेहरे पर खुशी थी।

©Kamlesh Kandpal
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