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वे भी थे किशोर उनके कंधों पर भी बोझ था पर किताबो

वे भी थे किशोर
 उनके कंधों पर भी बोझ था
 पर किताबों का नहीं,
 कबाड़ का!
ध्यान वे भी दे रहे थे
पर बिखरे कबाड़ पर
शायद उनके माता -पिता ने
 सपने देखे होंगे, उनके लिये भी!
अपने से बेहतर कबाड़ी होने के या.....

©Kamlesh Kandpal
  #Kbadi