मैं फ़िर से जीना चाहती हूं, तुझे खो कर पाना चाहती हूं, लेकिन आज़माईशें ये कैसी है? के मैं हर बार हार जाती हूं.. मुक्कम्मल इश्क़ पाना चाहती हूं, तेरे रंग में रंग जाना चाहती हूं, ज़िन्दगी अधूरी ही बेहतर है, तू मिले या ना मिले बस मैं तेरी हो जाना चाहती हूं। हां, सच है ये कि अब वो जुनून नहीं मुझमें तुझे पाने का, बस सुकून चाहिए एक पल के लिए तेरा हो जाने का, अब ऐसा भी नहीं कि तुझे भूल जाना चाहती हूं, तू हर पल याद रहे कुछ ऐसा कर जाना चाहती हूं। हां मैं इश्क़ की एक मुक्कम्मल दास्तां लिखना चाहती हूं। हां, मैं इश्क़ की एक मुक्कम्मल दास्तां लिखना चाहती हूं। #ishq #sukoon #ehsaas #aazmaaish #yqbaba #yqdidi #yqpoetry