किताबें ख़ूबसूरत दिखूँगा जब मुझमें इताब न हो! करूँगा संघर्ष मेरे हिस्से भले ख़िताब न हो! जी लूँगा मैं सुख-सुविधा, ऐशो-आराम के बगैर; होगी मुश्क़िल जब मेरे साथ कोई किताब न हो! #किताबें_ही_ज़िंदगी_हैं इताब= क्रोध/गुस्सा