एक चापलूसों की गुट होती है, वह मति मारि के बीच में होती है। जब कभी बात किसी से किसी की होती है, तब चापलूसों की फौज वहां बत्ती सी होती है। कुछ लोग चापलूस होते हैं, जो बीच में आकर बैठते हैं। खामखां नहीं ऐसा हो कहते हैं, जैसे वही ज्ञान पुरुष सब करते हैं। चापलूस सरकारी मोहर क्या लगवायेंगे, खुद तबलमंज जलील हया हो जायेंगे। यहां वहां की रंगत से, क्या वीर वो कहलायेंगे। चापलूस और चाटूकार ही, दुनिया भर में कहलायेंगे। बाबा इसीलिये उनसे सम्बंध नहीं होते हैं। #चापलूस