Nojoto: Largest Storytelling Platform

आज के कलयुग रुपी दौर में, रिश्ते जैसे प्रश्न नही र

 आज के कलयुग रुपी दौर में,
रिश्ते जैसे प्रश्न नही रहे
और रहे भी तो उसकी कोई गारंटी नहीं
""""
आज मैनेे हजारो चेहरो का अध्ययन करने के बाद यह पता चला है की"लोग कहते है की दुनियाँ मे भीड बहुत है लेकिन उस भीड मे भी आदमी अकेला ही है

जिधर देखो उधर भीड ही भीड लेकिन हर एक जुबा पर "ताला",,,,कोई पास बैठने वाला  नही कोई समझने वाला नही,,,
केवल भागा दौडी ही भागा दौडी व ख्वाहिशे ही ख्वाहिशे जिसके चलते इंसान की हैवानियत चरम पर,,,,पल भर मे कत्ल धोखा व विश्वास घात सी साजिशें!
 आज के कलयुग रुपी दौर में,
रिश्ते जैसे प्रश्न नही रहे
और रहे भी तो उसकी कोई गारंटी नहीं
""""
आज मैनेे हजारो चेहरो का अध्ययन करने के बाद यह पता चला है की"लोग कहते है की दुनियाँ मे भीड बहुत है लेकिन उस भीड मे भी आदमी अकेला ही है

जिधर देखो उधर भीड ही भीड लेकिन हर एक जुबा पर "ताला",,,,कोई पास बैठने वाला  नही कोई समझने वाला नही,,,
केवल भागा दौडी ही भागा दौडी व ख्वाहिशे ही ख्वाहिशे जिसके चलते इंसान की हैवानियत चरम पर,,,,पल भर मे कत्ल धोखा व विश्वास घात सी साजिशें!