जब ना पाया था 👇 ©Shakshi जब ना पाया था तुमने मुझे तो परी सी थी मैं तेरे लिए आज देखो ना कुरूप हो गई मैं तेरे लिए जब ना बोला करती थी मैं तेरे सामने तो तरसा करते थे मेरी एक शब्द सुनने को.. आज देखो ना तुम्हे मेरी बोली भी चुभा करती हैं काटो समान जब ना मिला पाती थी नज़रे तो रूठ जाया करता था मेरी आँखे देखे तुम्हे यही फरियाद लगाता था.. आज देखो ना तेरी ही आँखे मुझसे अनजान बनने लगी जब तू कहता था तेरी आँखो में काजल होठो पे लाली माथे पे बिदिया तुम्हे मेरा दीवाना और बनाती हैं