संग जिये उन पहाड़ों की,झीलों की,फिर से नजारे देखना,, या सफर-ए-दरमियाँ गुजरी गलियों की सिमटती किनारे देखना,, दफऩ भी कर लेते कहीं,नजरों में बसी उनकी हर अदाओं को,, मगर जाते-जाते वो उनका एक दफा मुड़कर दुबारा देखना।। --Abhishek Kashyap #mohabbat #Shayari #Dekhna #pyar #aihsas