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उसके बिना अब ज़िन्दग़ी ,वीरान लगती है। उसके बिना अ

उसके बिना अब ज़िन्दग़ी ,वीरान लगती है।
उसके बिना अब हर ख़ुशी, बेजान लगती है।
हर सिम्त  ज़माने मे , ख़ुशियों का मौसम है ,
उसके बिना  यह  दुनियाँ, सुनसान लगती है।
दुनियाँ के मेले हैं, हम तो फिर भी अकेले हैं,
उसके बिना हर   महफिल , गुंजान लगती है।
दुनियाए-समन्दर मे, है तन्हां, क़श्तिए-हयात ,
नाख़ुदा बिन क़िस्मत इसकी, क़ुर्बान लगती है।
ग़मे-फुरक़त मे सब कुछ , लुट चुका ,"फिराक़",
ज़ीस्ते-नामुराद , कुछ दिन की, महमान लगती है। OPEN FOR COLLAB✨ #ATउसकेबिनाअबज़िन्दगी
• A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ 

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Collab with your soulful words.✨ 

• Must use hashtag: #aestheticthoughts
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उसके बिना अब हर ख़ुशी, बेजान लगती है।
हर सिम्त  ज़माने मे , ख़ुशियों का मौसम है ,
उसके बिना  यह  दुनियाँ, सुनसान लगती है।
दुनियाँ के मेले हैं, हम तो फिर भी अकेले हैं,
उसके बिना हर   महफिल , गुंजान लगती है।
दुनियाए-समन्दर मे, है तन्हां, क़श्तिए-हयात ,
नाख़ुदा बिन क़िस्मत इसकी, क़ुर्बान लगती है।
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