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अपने मन की बातों को जोड़ दी, अब चाहे बहर् हो या ना

अपने मन की बातों को जोड़ दी, अब चाहे बहर् हो या ना हो। 
शांत समंदर ने आज खूब शोर की, अब चाहे लहर हो या ना हो।।
कल की कयामत का ख़्याल मन में एक बार भी ना आया,'ओम'। 
सूरज से हीं उसने मुह मोड़ ली, अब चाहे सहर हो या ना हो।। #हो ना हो
अपने मन की बातों को जोड़ दी, अब चाहे बहर् हो या ना हो। 
शांत समंदर ने आज खूब शोर की, अब चाहे लहर हो या ना हो।।
कल की कयामत का ख़्याल मन में एक बार भी ना आया,'ओम'। 
सूरज से हीं उसने मुह मोड़ ली, अब चाहे सहर हो या ना हो।। #हो ना हो