White आदर्श बनाम दिव्यांग बिखरें पन्ने, स्याही भी आह! , कितनी सूखी ? भर दूं, कैसे ये आसमाँ, पर, ये खुद का पन्ना कैसे पलटू …. दो पल जरा ठहर कर, अंधी आंखों से सहज दुनियां देखों रूदन भरें इस मन में, पर बिन पैर तुम दो पग चलकर देखों कहीं तेरी किताबें बिखर, हँसी न बन जायं, बिखरें मेरे पन्नें, जरा कमजोर, असहाय नहीं, जो ये पन्नें मेरे, तेरी किताब बन जायं। हौसला, उड़ान, ताकत और , मेरा जज़्बा, ये बुलंदियां अपनी, तेरा फौलाद नहीं। लेख हूं मैं, खुद के बिखरें पन्नों के विधान का, ये गुलदस्ता है जीवन की अपनी, अपनी कलरव करती मझधार का.. भला ये पन्ना मैं क्यों पलटू ?? ©Saurav life #sad_quotes #sauravlife