चले गए सब घर अपने अपने हम ढूढते रह गए सपने सपने न कोई जिक्र है न कोई फिक्र है अब सब लम्हें बेबुनियाद हैं तक़दीर को कोसे या खुद को मजबूर जिंदगी हर रोज मारती है जिंदगी में कुछ सुकूँ के पल मिलने लगे थे लेकिन गमों को हमारी ख़ुशी चुभ गई दूर कर दिया अपनी वफ़ा से उसने हमको हम दर-बा-दर भटकते रह गए वो चले किसी और को मेरे आँसू शायद अब उसको पिघला न पाए मेरा प्यार अब उन्हें याद भी ना आए 🍇🍇🍇🍇🍇🍇😭 miss u ©naresh_sogarwal #smoked