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परिवार की गाडी को पिता ने ही खींचा। खून और पसीने

परिवार की गाडी को पिता ने ही खींचा। 
खून और पसीने से हम सब को सींचा।
बो हमारे सुख दुःख मे हमेशा साये की तराह पीछे रहे जनाब। 

बो खुदगर्ज है जो बुढापे मे उनका छौड देते है पीछा।
अनिल परिवार की गाडी को पिता ने ही सींचा
परिवार की गाडी को पिता ने ही खींचा। 
खून और पसीने से हम सब को सींचा।
बो हमारे सुख दुःख मे हमेशा साये की तराह पीछे रहे जनाब। 

बो खुदगर्ज है जो बुढापे मे उनका छौड देते है पीछा।
अनिल परिवार की गाडी को पिता ने ही सींचा