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वक़्त_बेवक्त कुंडी बजाकर, करते हो परेशान मुझे.. का

वक़्त_बेवक्त कुंडी बजाकर,
करते हो परेशान मुझे..
कान्हा अब नही छेड़ो मुझको,
कह दूंगी मैया से मैं..
बार-बार घर आ जाते हो,
माखन खाने के लिए..
मटकी तोड़ के रख दी सब है,
तेरे सखा मंडली ने..
सिखहर खाली पड़ा हुआ है,
मटकी टूटे बिखरे है..
देखो घर का हाल है कैसा,
एक भी सही न मटकी है..
#अजय57

©Ajay Keshari
  #कान्हा