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मैं नहीं चाहता की तुम मेरे सम्मान में जी लगाकर सं

मैं नहीं चाहता की तुम 
मेरे सम्मान में जी लगाकर
संबोधन करो,
मैं चाहता हूंँ मुझसे बात करो जैसे
 करती हो अपने दोस्तों से।
तुम मुझसे रूठो 
जैसे राधा रूठती थी कृष्ण से।
जिद करो तुम मुझसे भी
जैसे की थी माँ सीता ने
 प्रभु श्री राम से उस कुंदन सुरभी के लिए।

मेरे स्नेह को संजोह लो 
हृदय में
जैसे चाँद की चाँदनी को
पृथ्वी समांहित कर लेती है
कण कण में ।
तुम्हारे स्नेह में डूब जाऊँ इतना कि
जैसे चाय में शक्कर मिल जाती हो 
 हाँ मैं चाहता हूँ तुम मुझमें डूब जाओ ऐसे जेसे
 कृष्ण की भक्ति में मीरा ।

©Writer Abhishek Anand 96
  #Walk तुम