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मे हर रोज बैठता था ऊपर छत पर याद करने के लिए अपने

मे हर रोज बैठता था ऊपर छत पर याद करने के लिए अपने मन को काबू पाने के लिए 
क्या मिला मुझे याद कर कर
झूठे बादे,,
  झूठे बादे मिले थे मुझे और इश्क से तो निलाम किया था मुझे

©Rajesh Pal निलाम

#us
मे हर रोज बैठता था ऊपर छत पर याद करने के लिए अपने मन को काबू पाने के लिए 
क्या मिला मुझे याद कर कर
झूठे बादे,,
  झूठे बादे मिले थे मुझे और इश्क से तो निलाम किया था मुझे

©Rajesh Pal निलाम

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निलाम #us #Shayari