"बहती हवा सा" बहती हवा सा था वो शख्स जब भी गुज़रता छेड़ जाता मेरे बदन का हर अंश उसकी खुशबु ही थी जो मुझमे महकती थी बड़ा ग़ज़ब का था उसका लड़कपन मैं जब चाही हाँथों में उसे जकड़ना बहती हवा सा उड़ जाता उसका छुअन ¡¡ बहती हवा सा