खिदमत करू या नाम कर दू, उल्फत के नजारे सारे । या साथ उडू बन अतरंगी , पतंग और धागे । न कोई बंदिशें हो , न जंग हो बारिशों की। मिल के ढूंढें आसमां, आशमानो के किनारे। गुमनाम रातें ईश्क - ए - ख़्वाब सजा रही । महफिलों में उतरे है, चांद सितारे सारे । ©Preeti...alfaaz...... #खिदमत # उल्फत 🙂🙂