मैं चलता ही रहा मदहोश और बेख़बर जाने कहाँ ले जाएगी मुझे ,ये सफ़र छोड़कर कदमों के निशान धूल पर तन्हाइयों को बनाते चला यूँ रहगुज़र रह-गुज़र #पारस #तनहाइयाँ