गलत लगा जब दूजे की शर्तों पे जीना तब अपनो ने जीवन क्या है ये बतलाया जब समाज ने कदमो में बेंणी डाली तब काँटों ने तीव्र वेग चलना सिखलाया उपवन से सीखा जिनने शाखाऐं छोड़ी उन पुष्पों ने कब कोई उपवन महकाया उदाहरण हैं कितने ही ऐसे समाज में तू भी बन उनके जैसा अंतस चिल्लाया गलत लगा जब दूजे की शर्तों पे जीना तब अपनो ने जीवन क्या है ये बतलाया #ग़लतहै