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'गर्भ की सुंदरता' जवाब मानसिकता का अनुशीर्षक में

'गर्भ की सुंदरता'
जवाब मानसिकता का

अनुशीर्षक में


 एक स्त्री के बारे में बहुत बड़ा झूठ है उसका ब्याह के दिन सबसे सुंदर लगना। उसका उस दिन अत्यधिक सुंदर लगना उसकी सुंदरता को नहीं अपितु ब्यूटी पार्लर वालों के हाथों का कमाल को दिखाता है और कई स्त्रियों को तो उनकी असली सुंदरता से परे बनावटी सुंदरता में ढाल दिया जाता है। खैर मनों को बदला नहीं जा सकता। 
एक स्त्री के सबसे सुखद पलों में उसके लिए लिखी गई है उसकी गर्भावस्था। जब वो गर्भ से होती है तो हर दिन उसकी सुंदरता नए रूपों में पलती है। उसकी आंखों में उमंग, मुख पर निखार इत्यादि गर्भावस्था के पश्चात् ही असल रूप में दिखता है। उसका प्रेम उस शिशु के लिए जिसका रूप रंग उसके मन ने हर दिन रचा है किसी भी अन्य प्रेम के सामने कुछ भी नहीं। एक स्त्री रचती है हर दिन अपनी गर्भ में पल रहे शिशु को। उसका रूप वह स्वयं ही निर्धारित करती है। हर दिन, हर पल मन ही मन उससे बातें करना, उठते बैठते, खाते पीते, नहाते धोते, बाहर जाते इत्यादि समय पर उससे हर बात साझा करना एवं उसी का खयाल हर पल दिल में छाए रहना, उसके असीम और सुंदर पागलपन को दर्शाता है... "चल अब घूमने चलते हैं", "तुझे भूख लगी है", "देख तू अंदर ही अंदर इतनी शैतानी न कर, तेरी मां को दर्द होता है ", "तेरे पापा मुझे डांट रहे हैं, जब तू बाहर आए न तो मना करेगा न ", "मेरा राजकुमार लाखों में एक होगा, तेरे लिए एक सुंदर सी परी लाऊंगी" ... ये है उसका पागलपन। इन्हीं खयालों में डूबी वो स्त्री न जाने कब गर्भावस्था के दिनों को जी जाती है, उसे पता ही नहीं चलता। उसके लिए ये नौ महीने कुछ पलों के समान लगते हैं..."देखो मुझे डांटो मत, बच्चे पर बुरा असर पड़ेगा"... ये सुखद पल दुनिया का न तो कोई दौलत दे सकती है और न कोई प्रेमी। प्रेमी की बाहों में सारी जिंदगी मिलाकर भी एक स्त्री जितने पल गुजारती है, वे पल उसके बच्चे के साथ बिताए उन नौ महीनों से भी बहुत कम है..."अरे इसकी तो अभी से मांगें शुरू हो गईं, देखो तो राजा को रात के दो बजे पापा को परेशान कर रहा है, दो बजे इसे सेब खाने का मन कर रहा है जबकि मुझे तो सेब कभी पसंद ही नहीं थे...अभी से नटखट है बदमाश"... एक स्त्री इन्हीं पलों को सदा अपने साथ संजोकर रखना चाहती है। सच में एक स्त्री उसके गर्भ के दिनों में बाह्य एवं आंतरिक दोनों ही रूपों में अनंत सुंदरी बन जाती है।
हमारा समाज बातें बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ता और अफवाहें तो न जाने कितने रूप बदलतीं हैं। स्त्री का गर्भ से होना न जाने कितनी समस्याएं लाता है। कुछ का कहना है स्त्री गर्भ तक ही सुंदर होती है मगर गर्भ के बाद वह पहले जैसी आकर्षित एवं उसमें उतनी चटक भटक वाली बात नहीं रह जाती है। उनकी भाषा में कहें तो स्त्री गर्भ के बाद लटक जाती है। उनके लिए गर्भावस्था मात्र परिवार की अगली कड़ी जोड़ने का साधन है। कुछ स्त्रियां तो बच्चे को जन्म देने के पश्चात् स्वयं को दर्पण में ठीक से निहारती भी नहीं हैं एवं कई गर्भावस्था के समय को उनके लिए दुखद पल मानती हैं। उनके अनुसार गर्भ उनकी पुरानी खूबसूरती को समाप्त कर देता है जबकि ऐसा नहीं है। जाने क्यों ऐसे खयाल पनपते हैं। देखा जाए तो गर्भावस्था स्त्री के जीवन के सुखद पल हैं जिन्हें हर स्त्री को अहसास करना चाहिए..."देख तू जब पेट में था न तो मुझे बहुत परेशान करता था" ये पंक्ति सुख में कही गई अथवा दुःख में, स्त्री के मन की स्थिति को भलीभांति दर्शाता है। अंत में एक कटु सत्य कहूंगा कि गर्भावस्था पुरुष का स्त्री के प्रति असीम प्रेम नहीं बल्कि स्त्री का पुरुष के प्रति प्रेम का प्रतीक माना जाना चाहिए।

शुक्रिया❣️

सभी स्त्रियों को समर्पित
'गर्भ की सुंदरता'
जवाब मानसिकता का

अनुशीर्षक में


 एक स्त्री के बारे में बहुत बड़ा झूठ है उसका ब्याह के दिन सबसे सुंदर लगना। उसका उस दिन अत्यधिक सुंदर लगना उसकी सुंदरता को नहीं अपितु ब्यूटी पार्लर वालों के हाथों का कमाल को दिखाता है और कई स्त्रियों को तो उनकी असली सुंदरता से परे बनावटी सुंदरता में ढाल दिया जाता है। खैर मनों को बदला नहीं जा सकता। 
एक स्त्री के सबसे सुखद पलों में उसके लिए लिखी गई है उसकी गर्भावस्था। जब वो गर्भ से होती है तो हर दिन उसकी सुंदरता नए रूपों में पलती है। उसकी आंखों में उमंग, मुख पर निखार इत्यादि गर्भावस्था के पश्चात् ही असल रूप में दिखता है। उसका प्रेम उस शिशु के लिए जिसका रूप रंग उसके मन ने हर दिन रचा है किसी भी अन्य प्रेम के सामने कुछ भी नहीं। एक स्त्री रचती है हर दिन अपनी गर्भ में पल रहे शिशु को। उसका रूप वह स्वयं ही निर्धारित करती है। हर दिन, हर पल मन ही मन उससे बातें करना, उठते बैठते, खाते पीते, नहाते धोते, बाहर जाते इत्यादि समय पर उससे हर बात साझा करना एवं उसी का खयाल हर पल दिल में छाए रहना, उसके असीम और सुंदर पागलपन को दर्शाता है... "चल अब घूमने चलते हैं", "तुझे भूख लगी है", "देख तू अंदर ही अंदर इतनी शैतानी न कर, तेरी मां को दर्द होता है ", "तेरे पापा मुझे डांट रहे हैं, जब तू बाहर आए न तो मना करेगा न ", "मेरा राजकुमार लाखों में एक होगा, तेरे लिए एक सुंदर सी परी लाऊंगी" ... ये है उसका पागलपन। इन्हीं खयालों में डूबी वो स्त्री न जाने कब गर्भावस्था के दिनों को जी जाती है, उसे पता ही नहीं चलता। उसके लिए ये नौ महीने कुछ पलों के समान लगते हैं..."देखो मुझे डांटो मत, बच्चे पर बुरा असर पड़ेगा"... ये सुखद पल दुनिया का न तो कोई दौलत दे सकती है और न कोई प्रेमी। प्रेमी की बाहों में सारी जिंदगी मिलाकर भी एक स्त्री जितने पल गुजारती है, वे पल उसके बच्चे के साथ बिताए उन नौ महीनों से भी बहुत कम है..."अरे इसकी तो अभी से मांगें शुरू हो गईं, देखो तो राजा को रात के दो बजे पापा को परेशान कर रहा है, दो बजे इसे सेब खाने का मन कर रहा है जबकि मुझे तो सेब कभी पसंद ही नहीं थे...अभी से नटखट है बदमाश"... एक स्त्री इन्हीं पलों को सदा अपने साथ संजोकर रखना चाहती है। सच में एक स्त्री उसके गर्भ के दिनों में बाह्य एवं आंतरिक दोनों ही रूपों में अनंत सुंदरी बन जाती है।
हमारा समाज बातें बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ता और अफवाहें तो न जाने कितने रूप बदलतीं हैं। स्त्री का गर्भ से होना न जाने कितनी समस्याएं लाता है। कुछ का कहना है स्त्री गर्भ तक ही सुंदर होती है मगर गर्भ के बाद वह पहले जैसी आकर्षित एवं उसमें उतनी चटक भटक वाली बात नहीं रह जाती है। उनकी भाषा में कहें तो स्त्री गर्भ के बाद लटक जाती है। उनके लिए गर्भावस्था मात्र परिवार की अगली कड़ी जोड़ने का साधन है। कुछ स्त्रियां तो बच्चे को जन्म देने के पश्चात् स्वयं को दर्पण में ठीक से निहारती भी नहीं हैं एवं कई गर्भावस्था के समय को उनके लिए दुखद पल मानती हैं। उनके अनुसार गर्भ उनकी पुरानी खूबसूरती को समाप्त कर देता है जबकि ऐसा नहीं है। जाने क्यों ऐसे खयाल पनपते हैं। देखा जाए तो गर्भावस्था स्त्री के जीवन के सुखद पल हैं जिन्हें हर स्त्री को अहसास करना चाहिए..."देख तू जब पेट में था न तो मुझे बहुत परेशान करता था" ये पंक्ति सुख में कही गई अथवा दुःख में, स्त्री के मन की स्थिति को भलीभांति दर्शाता है। अंत में एक कटु सत्य कहूंगा कि गर्भावस्था पुरुष का स्त्री के प्रति असीम प्रेम नहीं बल्कि स्त्री का पुरुष के प्रति प्रेम का प्रतीक माना जाना चाहिए।

शुक्रिया❣️

सभी स्त्रियों को समर्पित