खोई खेल तो है, जो खेला जा रहा है, थोड़ा ख्याल रखो नफर का जहर मज़हब के नाम पर घोला जा रहा है, थोड़ा ख्याल रहो.. सियासत का क्या है, ये तो आनी जानी है न्याय के तराजू में, खुलेआम झुठ तोला जा रहा है, थोड़ा ख्याल रखो गुलिस्तां हमारा मुल्क है, जो खुशनुमा है, बर्बाद करने के वास्ते इसे, एक जंगली जानवर खोला जा रहा है, थोड़ा ख्याल रखो कोई खेल तो है, जो खेला जा रहा है, थोड़ा ख्याल रखो नफर का जहर मज़हब के नाम पर घोला जा रहा है, थोड़ा ख्याल रहो.. सियासत का क्या है, ये तो आनी जानी है न्याय के तराजू में, खुलेआम झुठ तोला जा रहा है, थोड़ा ख्याल रखो गुलिस्तां हमारा मुल्क है, जो खुशनुमा है,